Tuesday, January 6, 2009
खूनी खेल
झारखण्ड में नक्सलियों ने एक और हत्याकांड को अंजाम दे दिया है और साबित कर दिया है कि सरकार चाहे तो भी वो लोगों को सुरक्षा नहीं दे सकती। पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन एस पी अरुण उरांव ने नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीणों की टीम बनायी थी जिसे नागरिक सुरक्षा समिति का नाम दिया गया। इस टीम को पुलिस का परोक्ष समर्थन हासिल था और भावनाओं के उद्रेक में आकर नक्सलियों का सफाया भी शुरू हुआ। लेकिन अरुण उरांव अपने मूल कैडर पंजाब चले गए और एन एस एस की टीम को उचित समर्थन नहीं मिलने लगा। नक्सलियों का मनोबल बढ़ता गया और उन्होंने जमशेदपुर के युवा सांसद सुनील महतो को घाटशिला के निकट एक गाँव में छलनी कर दिया। ५ जनवरी २००९ को उन्होंने एन एस एस के महासचिव धनाई किस्कू को भी ताम्रनगरी मुसाबनी में मौत के घाट उतार दिया। नक्सलियों की हिट लिस्ट में और भी कई नेता हैं। आम लोगों ने तो समझ लिया है कि इस कहर से उन्हें कोई नहीं बचा सकता लिहाजा उन्होंने नक्सलियों की ताकत के आगे समर्पण कर दिया है। यही उनकी नियति है। पता नहीं कब तक ये खूनी खेल चलता रहेगा और लोग भय के वातावरण में अपनी जिन्दगी गुजारने को अभिशप्त रहेंगे? इस यक्ष प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है। जनता के भाग्य विधाता होने का दंभ भरने वाले नेताओं के पास तो कदापि नहीं क्योंकि इस खेल में वे भी किसी न किसी रूप में शामिल हैं। आपके पास कोई जवाब है?
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1 comment:
aapka font itna cchots ha ki ham kuch nahi padh paaye:(
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