Saturday, December 27, 2008
युयुत्सा
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति बन गयी थी लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप ने दोनों देशों को भारी तबाही से बचा लिया लगता है.मुंबई पर आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच जो तनाव उभर आया था, उससे युद्ध अवश्यम्भावी लग रहा था.ये हालत पैदा करने में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने जबर्दस्त भूमिका अदा की है.हमले के बाद से ही ऐसा लगने लगा था कि दोनों देशों से अधिक मीडिया युयुत्सा की भावना का शिकार है.मुंबई हमलों के टीवी कवरेज से ही लग रहा था कि मीडिया तटस्थ नहीं है बल्कि वो भी उद्दाम राष्ट्रप्रेम की धारा में प्रवाहित हो रहा है.एक तरह से एक देश के लिए यह एक शुभ लक्षण कहा जा सकता है लेकिन क्या युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं था?
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4 comments:
aapaka swaagat hai
Sahi kaha aapne. Media overreact kar raha hai. Swagat blog parivar aur mere blog par bhi.
नववर्ष् की शुभकामनाएं
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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